Asian Games 2023: Horse-riding Gold Winner की कहानी

Asian Games 2023 के तीसरे दिन भारत ने किया अपने नाम तीसरा गोल्ड। एशियन गेम 2023 में भारत ने किया शानदार प्रदर्शन । इस गोल्ड का इंतजार भारत ने 41 वर्ष किया है। 1982 में भारत ने जीता था घुड़सवारी में गोल्ड। जी हां दोस्तों भारत में तीसरा गोल्ड घुड़सवारी में जीता है।

Asian Games 2023: Horse-riding Gold Winner
Asian Games 2023: Horse-riding Gold Winner

भारतीय घुड़सवार  सुदीप्ति हजेला, दिव्यकीर्ति सिंह, अनुश अग्रवाल और हृदय छेडा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए इस इवेंट में इस सोने के सिक्के को अपने नाम किया है। इसी के साथ भारत के खाते में 14 मेडल हो गए हैं जिसमें से तीन गोल्ड, चार सिल्वर और सात ब्रॉन्ज मेडल हैं भारत की तरफ से पहला गोल्ड तीरंदाजी में और दूसरा गोल्ड भारतीय वुमन क्रिकेट टीम ने और तीसरा गोल्ड घुड़सवारी में भारत के नाम आया है।

घुड़सवारी टीम के बारे में

एशियाई खेलों के 19 वे संस्करण में भारत ने अब तक कुल 14 मेडल जीते हैं जिसमें से भारत के नाम पर तीन गोल्ड हैं और तीसरा गोल्ड घुड़सवारी में आया है । दोस्तों यह सोना 41 सालों के बाद भारत के खाते में आया है इससे पहले घुड़सवारी में एशियाई खेलों में 1982 में दिल्ली के अंदर गोल्ड आया था दोस्तों यह बहुत ही गर्व की बात है कि जिस खेल को 41 साल पहले बढ़ावा मिला था इसके बाद इतने सालों तक इस खेल को लोग भूल सा गए थे लेकिन भारतीय नौजवानों ने आज हमारे पुराने खेल को जिंदा कर दिया ।

ओलंपिक खेलों में घुड़सवारी का इतिहास

ओलंपिक खेलों में घुड़सवारी का इतिहास बहुत ही पुराना है ,बात हजारों वर्ष पूर्व की है जब इंसानों ने जानवरों को पालना शुरू किया तब उन पालतू जानवरों में एक पालतू जानवर घोड़ा भी था तब से इंसान का रिश्ता जानवरों के प्रति बहुत ही मजबूत हो गया था धीरे-धीरे इंसान घोड़े का प्रयोग अपने दैनिक कार्यों में करने लगे हैं इसके बाद उसे खेल के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा इसी के साथ घुड़सवारी का मानव सभ्यता के साथ विकास हुआ।

घुड़सवारी का इतिहास

घुड़सवारी का इतिहास ग्रीस नामक देश से जुड़ा हुआ है बात 680 ईसा पूर्व की है जब रथ दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन हुआ करता था उसका ही नया रूप है घुड़सवारी धीरे-धीरे घुड़सवारी को अंतरराष्ट्रीय घुड़सवारी संघ द्वारा निर्धारित किया जाने लगा एक खेल के रूप में घुड़सवारी का इतिहास और विकास क्रमिक रूप से विकसित होता रहा।

घुड़सवारी का अर्थ

घुड़सवारी एक ऐसा खेल है जिसमें घुड़सवार एक घोड़े पर सवार होकर इस खेल को खेलता है और अपने हुनर व योग्यता का प्रदर्शन लोगों को दिखाता है जिसका अर्थ यह है घोड़े पर बैठकर हुनर दिखाना। इसी के साथ 1900 में  धीरे-धीरे ओलंपिक में घुड़सवारी को भी शामिल कर लिया गया। इसी के साथ इस खेल को अंतरराष्ट्रीय खेल के रूप में मान्यता मिल गई।

Asian Games 2023 की घुड़सवारी ड्रेसेज इवेंट की टीम के बारे में।

दिव्यकीर्ति सिंह, सुदीप्तिह जेला,अनुज अग्रवाल और ह्दय विपुल छेड़ा की टीम ने दिलाया भारत को तीसरा गोल्ड ।

दिव्यकीर्ति सिंह

भारतीय महिला घुड़सवार एथलीट दिव्यकीर्ति सिंह का जन्म 22 अक्टूबर 1999 को जयपुर, राजस्थान में हुआ था। वर्तमान में उनकी आयु 23 वर्ष है  इनका पूरा नाम दिव्यकीर्ति सिंह राठौर है। इनका प्रमुख खेल घुड़सवारी ड्रेसेज है।

दिव्यकीर्ति ने 12 वर्ष की उम्र से घुड़सवारी करना प्रारंभ कर दिया था और वह भारतीय आईपीएससी घुड़सवारी प्रतियोगिताओ जैसे आयोजन में कई अकेले और टीम में पदक जीत चुकी हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मेयो गर्ल्स कॉलेज अजमेर राजस्थान से पूरी की है और उन्होंने स्नातक की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय के जीसस एंड मैरी कॉलेज से पूरी की है इनकी माता का नाम अलका तेज सिंह है और उनके बड़े भाई का नाम दिग्विजय सिंह है।

दिव्यकीर्ति सिंह के बारे में अन्य जानकारी

एक जानकारी के अनुसार जब दिव्यकीर्ति कक्षा 7 में थी तब से उन्होंने घुड़सवारी सीखना प्रारंभ कर दिया था और उन्होंने स्नातक की पढ़ाई के बाद 2020 में यूरोप चली गई थी और उन्होंने वहीं से घुड़सवारी  की ट्रेनिंग ली उनका यह मानना था कि भारत में घुड़सवारी का कोई क्रेज नहीं है इसीलिए यहां पर अच्छी ट्रेनिंग मिलना मुश्किल है और उन्होंने अपनी जिद और अपने मेहनत के बलबूते इस साल की ड्रेसाज में एशिया के नंबर वन खिलाड़ी बनी और साथ ही राजस्थान की पहली महिला खिलाड़ी हैं जिन्होंने महिला घुड़सवारी में एशियन गेम 2023 में गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने 68.176 अंक प्राप्त किया।

सुदीप्ति हजेला

सुदीप्ति का जन्म 10 में 2002 को इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था और उनकी वर्तमान में उम्र 21 वर्ष है वह एक भारतीय घुड़सवार एथलीट हैं उन्होंने एशियन गेम 2023 में घुड़सवारी ड्रेसेज में टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता है। वे भारत के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर के लक्ष्मी नगर में स्थित सनसिटी में रहती हैं इनके पिता का नाम मुकेश हजेला है जो एक आईटी कंपनी में काम करते हैं उनकी माता और उनकी एक बड़ी बहन हैं जो छोटे बच्चों के स्कूल बुक्स के सिलेबस तैयार करने का बिजनेस करते हैं सुदीप्ति की प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली पब्लिक स्कूल से पूरी हुई है।

सुदीप्ति हजेला का करियर

सुदीप्ति के पिता बताते हैं कि जब सुदीप्ति 10 वर्ष की थी तब से वह घोड़े पर बैठना पसंद करती है उसका घोड़े पर बैठना कब शौक में बदल गया यह मैं नहीं जानता हूं शुरुआत में मैं अपनी बेटी को हुनर पहचान के लिए प्रेरित करता था लेकिन उनकी बेटी कब घुड़सवार के हुनर को पहचान चुकी यह वह भी नहीं जान पाए एक दिन उनकी बेटी ने उनसे कहा कि पापा मुझे घुड़सवारी करनी है और मुझे घुड़सवारी करना पसंद है। फिर वह मध्य प्रदेश की ओर से हॉर्स राइडिंग करने लगी ।

साल 2013 में कोलकाता में हुई नेशनल शो में सुदीप्ति ने पहले नेशनल शो किया और उसने अपनी लाइफ का पहला मेडल जीता हालांकि यह मेडल ब्रोंज था लेकिन सुदीप्ति के लिए यह गोल्ड से कम नहीं था। सुदीप्ति बताती हैं यहीं से उनकी लाइफ की जर्नी स्टार्ट हुई और उन्होंने सोच लिया कि उन्हें घुड़सवारी में ही कैरियर बनाना है ।

सुदीप्ति वर्तमान में 21 वर्ष की हैं और जब वह 10 वर्ष की थी तब से हॉर्स राइडिंग कर रही हैं पिछले दो वर्षों से वह फ्रांस में रहकर हॉर्स राइडिंग सीख रही थी।  उनका मुख्य उद्देश्य एशियन गेम 2023 में पार्टिसिपेट करना था और उनका सपना पूरा हुआ उन्होंने एशियाई गेम 2023 में भारत के लिए पहला गोल्ड जीता है या इतिहास उन्होंने 41 वर्षों बाद नया लिखा है।

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सुदीप्ति के बारे में अन्य जानकारी

  • फ्रांस में ट्रेनिंग के दौरान 40 लाख की कीमत का घोड़ा हुआ घायल,ढाई लाख रुपए महीने में घोड़ा किराए पर लिया। भारत के लिए जीता गोल्ड।
  • फ्रांस में रहकर वह अपने हाथ से ही करती हैं सारे काम।
  • 2020 में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार प्राप्त किया
  • इससे पहले उन्होंने 2017 में मध्य प्रदेश सरकार से एकलव्य पुरस्कार प्राप्त किया था।
  • भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वारा हो चुकी है सुदीप्ति सम्मानित।

अनुश अग्रवाल

अनुश अग्रवाल का जन्म 23 नवंबर 1999 को कोलकाता में हुआ था। अनुश ने महज 3 वर्ष की उम्र में ही अपने घर पर घुड़सवारी करना प्रारंभ कर दिया था। और वह 17 वर्ष की आयु में एक पेशेवर हॉर्स राइडर बन चुके थे और उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए अपने गृह जनपद से दूर जर्मनी चले गए और वहां उन्होंने जर्मनी में हॉर्स राइडिंग का प्रशिक्षण लिया। और उन्होंने 2022 में विश्व घुड़सवारी प्रतियोगिता की ड्रेसेज विश्व चैंपियनशिप में भाग लेने वाले भारतीय हॉर्स राइडर थे और एशियाई गेम 2023 में उन्होने टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक भारत के नाम किया।

ह्दय विपुल खेड़ा

एशियाई खेल 2023 में विपुल खेड़ा की टीम ने घुड़सवारी में 209.205 के शानदार स्कोर के साथ जीत हासिल की है उन्होंने यह 41 वर्षों के बाद ऐसा कारनामा किया है कि भारत के खाते में तीसरा गोल एशियाई खेल 2023 के नाम पर आया है इससे पहले 1982 ईस्वी में एशियाई खेलों में पहली बार घुड़सवारी में भारत ने स्वर्ण पदक जीता था। अनुष अग्रवाल, हृदय विपुल खेड़ा, सुदीप्ति हेजल और दिव्यकीर्ति सिंह की टीम ने यह कारनामा किया है। विपुल ने 69.941 अंक प्राप्त करके भारत का नाम रोशन किया। भारतीय टीम ने 209.205 अंक प्राप्त किया भारतीय टीम चीन की टीम से 4.5 अंक आगे है।

  • 14 मेडलो के साथ भारत एशियन गेम में छठे पायदान पर है।
  • 41 साल बाद भारत के नाम घुड़सवारी में गोल्ड।
  • 1982 में घुड़सवारी में भारत ने जीता था गोल्ड।
  • घुड़सवारी में गोल्ड एशियन गेम में चार लोगों ने मिलकर जीता है
  • भारत में एशियाई गेम को सोनी लिव पर फ्री देखा जा सकता है।
  • चीन के हांगकांग में एशियाई खेल 2023 में 23 सितंबर 2023 से 8 अक्टूबर 2023 तक होने वाले महा मैराथन खेल में 39 खेलों को शामिल किया गया है।

एशियाई खेल 2023 में कितने खेल हैं?

चीन मे हो रहे इस एशियाई खेल 2023 मे ,जिसमें भारतीय एथलीट 39 खेलों में भाग ले रहे है।

2023 में एशियाई खेल कहां आयोजित होंगे?

19वें एशियाई खेल 2023 पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के हांग्जो में आयोजित किए गए है ।

How much gold India win in the Asian Games?

भारत के खाते में 14 मेडल हो गए हैं जिसमें से तीन गोल्ड, चार सिल्वर और सात ब्रॉन्ज मेडल हैं भारत की तरफ से पहला गोल्ड तीरंदाजी में और दूसरा गोल्ड भारतीय वुमन क्रिकेट टीम ने और तीसरा गोल्ड घुड़सवारी में भारत के नाम आया है।

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