Big Scam: हक्की पिक्की Adivasi Hair Oil

बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया के सभी प्लेटफार्म पर हम सभी ने Adivasi Hair Oil का विज्ञापन अवश्य देखा होगा जिसमें यह बताया जा रहा है क्या कर्नाटक के हक्की पिक्की समुदाय के आदिवासी लोग हैं जो हेयर ऑयल बनाते हैं ।

जिससे बालों का झड़ना हमेशा के लिए रुक जाएगा बात यहां तक तो सही है अलग-अलग साइट पर अलग-अलग लोग आपको ऑफर देकर ₹399 में दो बोतल या ₹499 में दो बोतल बेंच रहे हैं। आप जिस भी वेबसाइट पर क्लिक करेंगे आपको इस समुदाय के लोगों के फोटो विज्ञापन में दिखेंगी पर इतने सभी विज्ञापनों में सही विज्ञापन का चयन कर पाना थोड़ा सा जटिल काम है।

Adivasi Hair Oil
Adivasi Hair Oil

साथियों इन सभी विज्ञापन करने वालों ने थोड़ा बहुत नहीं बल्कि करोड़ों का स्कैम किया है आपको हम बता दें आदिवासी हेयर ऑयल का वास्तविक मूल्य ₹1500 है। लेकिन विज्ञापन में आपको ₹399, ₹499 ऐसे ऑफर दिखाकर आपको सामान उपलब्ध कराया जा रहा है क्या वास्तव में यह सामान वास्तविक होगा इस बात का खुलासा आदिवासी समुदाय के कई लोगों ने खुद इंटरव्यू देकर किया है।

उन्होंने बताया कि उनकी छवि को धूमिल किया जा रहा है। जब लोग इस स्कैन में फंस जाते हैं तब छानबीन शुरू करके वास्तविक नंबर पर उसे समुदाय को फोन करते हैं और उनसे शिकायत करते हैं कि हमने आपके समुदाय का हेयर ऑयल खरीदा जिससे मुझे कोई फायदा नहीं हुआ या उसे बोतल में सिर्फ पानी निकला ऐसी कई ऐसी कई शिकायतें देखी गई है।

कुछ लोगों ने तो कहा छोड़ो दुनिया है। कौन करे माथा पच्ची ,जाने दो,आज हम आपको बताएंगे कि आप कैसे इस स्कैम से बच सकते हैं और आप सही हेयर ऑयल का चुनाव कर सकते हैं। 

साथियों आज हम इस ब्लॉग में हक्की पक्की  समुदाय के  बारे में आपको विस्तार से बताएंगे और हम इस बात का भी खुलासा करेंगे कि इस हेयर ऑयल के नाम पर कितना बड़ा स्कैम हुआ है और आप कैसे इस स्कैन से बच सकते हैं।

हम आपको इस ब्लॉग में यह भी बताएंगे कि समुदाय की स्थापना कब हुई और कब से इस समुदाय के लोग यह काम कर रहे हैं। अगर आपको वास्तविक हेयर ऑयल चाहिए तो कैसे आप इस हेयर ऑयल को खरीद सकते हैं।

कौन है हक्की पिक्की समुदाय के लोग 

हक्की पिक्की आदिवासी समुदाय के लोग कर्नाटक के मैसूर जिले के हंसूर तालुका के पक्षीराजपुर गांव में रहते हैं। इस समुदाय की स्थापना 1958 ईस्वी में हुई थी। इससे पहले यह समुदाय वर्तमान कर्नाटक जिसे पहले मैसूर के नाम से जाना जाता था इसके घने जंगलों में रहा करते थे 1958 में जब सरकार ने इन्हें समाज में रहने का हक दिया । तब इन लोगों ने जंगल से निकलकर जंगल के किनारे अपनी एक आदिवासी समुदाय की स्थापना की जिसे हक्की पिक्की आदिवासी समुदाय के नाम से जाना जाता है।

हक्की पिक्की का क्या अर्थ होता है। वह समाज जो जंगल में शिकार करके अपना गुजारा करते थे। आपको बता दें कि आज से लगभग 150 वर्ष पहले यह समुदाय कर्नाटक के घने जंगलों में रहते थे और इस जंगल में शिकार करके अपना गुजारा किया करते थे इस जंगल का वर्तमान नाम नागरहोल है जो भारत में वर्तमान सबसे चर्चित वन्य जीव अभ्यारण है । इस समुदाय के लोग लगभग डेढ़ सौ वर्ष पहले इसी जंगल में रहा करते थे। हक्की पिक्की की आदिवासी समुदाय मैसूर से लगभग 220 किलोमीटर दूर है। 

आदिवासी हेयर ऑयल
आदिवासी हेयर ऑयल

हक्की पिक्की जनजाति के इतिहास के बारे में 

 हक्की पिक्की एक ऐसी जनजाति है जो दक्षिण भारत के वन क्षेत्र में निवास करती थी। हक्की पिक्की कन्नड़ भाषा का शब्द है। हक्की पिक्की एक अर्ध-घुमंतू “खानाबदोश” जनजाति है। जो पक्षियों और जानवरों का शिकार करके अपना जीवन यापन करती थी।  हक्की का अर्थ होता है “पक्षीपिक्की का अर्थ होता है “पकड़ने वाला” अर्थात पक्षी पकड़ने वाले समुदाय को हक्की पिक्की समुदाय के नाम से जाना जाता है। यह कर्नाटक की अनुसूचित जनजाति (शेड्यूल ट्राइब) है। 

कैसे हुई इस जनजाति की उत्पत्ति 

इस जनजाति की उत्पत्ति का स्थल गुजरात और राजस्थान में माना जाता है जो आंध्र प्रदेश से होते हुए दक्षिण भारत के कर्नाटक के जंगलों में जा पहुंचे। भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार कर्नाटक में इनकी आबादी 11892 है इस जनजाति को कुल चार भागों में बांटा गया है। 

   गुजराथीयों, कालीवाला, मेवाड़ा और पनवार ये इस जनजाति के चार वंश हैं। इस जनजाति का पत्रक संबंध राणा प्रताप सिंह से माना जाता है। यह समुदाय योद्धा आदिवासी समुदाय है जिन्हें मुगलों से पराजित होने के बाद दक्षिण भारत में पलायन करना पड़ा था। यह समुदाय दक्षिण भारत की कन्नड़ तमिल तेलुगू और मलयालम भाषाएं बोलते हैं। 

आदिवासी समाज के बारे में 

   यह आदिवासी समाज मातृ सत्तात्मक है और इस समाज में मोनोगैमी आदर्श है। कर्नाटक के हंसूका तालुका में रहने वाला यह समाज हिंदू परंपराओं का पालन करते हैं और सभी हिंदू त्योहारों को मानते हैं। पक्की पक्की आदिवासी समाज में अभी भी शिक्षा का स्तर कम है। इस जनजाति के बीच शादी की सामान्य उम्र महिलाओं के लिए 18 वर्ष और पुरुषों के लिए 22 वर्ष मानी जाती है इस समुदाय में अंतरावशीय विवाह को प्राथमिकता दी जाती है। 

हक्की पिक्की आदिवासी जनजाति का ऑपरेशन कावेरी से संबंध 

भारत सरकार ने 1972 में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम पारित किया भारत में अवध शिकार तस्करी और अवध व्यापार को नियंत्रित करने के लिए इस कानून को लागू किया गया था जिसके चलते हक्की-पक्की आदिवासी जनजाति को शिकार करने से रोका गया इस समुदाय ने अपना पेट पालने के लिए पूर्वजों द्वारा बताई गई अपनी विधि द्वारा आयुर्वेदिक तेल मसाला इत्यादि का निर्माण कर भारत नहीं वरन अफ्रीका जैसे देशों में भी व्यापार करना चालू किया।

सूडान में मौजूदा संकट को देखते हुए भारत ने अपने नागरिकों को वहां से निकलने के लिए ऑपरेशन कावेरी की शुरुआत की थी ऑपरेशन कावेरी की शुरुआत 24 अप्रैल 2023 से 5 में 2023 तक चली थी जिसे भारतीय सशस्त्र बल द्वारा संपन्न किया गया था इस ऑपरेशन के तहत 17 भारतीय वायुसेना की उड़ानों द्वारा और पांच भारतीय नौसेना के जहाज की सहायता से  कुल 3862 लोगों को निकाला गया था। जिसमें इस आदिवासी समाज के लोग भी शामिल तो जो व्यापार के उद्देश्य से सूडान देश गए हुए थे।

क्या है Adivasi Hair Oil 

      एक ऐसा हेयर ऑयल जिसे दक्षिण भारत के जंगलों की जड़ी बूटियां से निर्मित किया जाता है जिसमें मुख्य भारत में पाए जाने वाले कुछ तेल और जंगल में पाई जाने वाली कई प्रकार की औषधियां या जड़ी बूटियो का समाकलन कर इसे लगभग 12 घंटे के लिए पकाया जाता है तत्पश्चात यह उत्पाद प्राप्त होता है। जिसे आज आदिवासी हेयर ऑयल के नाम से संपूर्ण भारत में नहीं वरन पूरे विश्व में इसे बेचा जा रहा है।

इस हेयर ऑयल को भारत की कोई बड़ी कंपनी नहीं बना रही बल्कि कर्नाटक में रहने वाला हक्की-पिक्की आदिवासी समुदाय जो इसे अपने हाथों से बनाते हैं इस गांव में रहने वाले लगभग सभी लोग यह काम अपने पूर्वजों द्वारा सिखाई गई विधि के द्वारा पूरी ईमानदारी से करते हैं और उनका दावा है कि अगर आप इस तेल को हमारे गांव में बने हुए किसी भी व्यक्ति से सही माध्यम से खरीदते हैं तो आपको हमारे उत्पाद में किसी भी प्रकार की मिलावट नहीं मिलेगी जिसकी वह 100% गारंटी लेते हैं।

इसका उपयोग बच्चे, जवान, बुजुर्ग सभी कर सकते हैं जिसका कोई भी साइड इफेक्ट नहीं है इस तेल के प्रयोग से बालों का झड़ना, रूखापन जिनके बाल गिर गए हैं उनके बालों में इजाफा देखने को मिलता है। 

आदिवासी हेयर ऑयल स्कैम आदिवासी हेयर ऑयल हक्की पिक्की समुदाय के आदिवासी लोगो के द्वारा तैयार किया जाने वाला एक हेयर ऑयल है जिससे लगभग 108 जड़ी बूटियां के द्वारा तैयार किया जाता है जिसका वास्तविक मूल्य ₹1500 है।

सोशल मीडिया पर इस हेयर ऑयल को स्कैमर लोग ₹399 में / ₹499 में दो बोतल का ऑफर देकर लोगों को नकली माल चिपका रहे हैं ऐसा करने वाला कोई अकेला इंसान नहीं है ऐसा करने वाले वालों की संख्या हजारों में है आप इस बात का अनुमान लगा सकते हैं कि भारत में सस्ती चीजो की बिक्री कितनी होती है। 

उदाहरण के लिए भारत में जब राम मंदिर का उद्घाटन होना था उसे समय किसी एक इंसान ने एक ऐसी वेबसाइट का निर्माण किया जिस पर बताया जा रहा था की आप ₹51 का पेमेंट करके भगवान राम मंदिर का प्रसाद अपने घर पर प्राप्त कर सकते हैं जिसके लिए आपको कहीं भी जाने की आवश्यकता नहीं है और आप अयोध्या जाकर कृपया भीड़ न बढ़ाएं।

जिस वेबसाइट पर भगवान राम से आधारित सभी चित्र और नए मंदिर की तस्वीर वकायदा अपलोड थी एक सामान्य इंसान इस बात का आकलन नहीं कर सकता था की यह एक वास्तविक वेबसाइट नहीं है। ऐसी अच्छी बातों को बताया जा रहा था कि लोगों का विश्वास था कि उन्हें भगवान राम मंदिर के उद्घाटन का प्रसाद उनके घर तक पहुंचाने के लिए भारत सरकार या राज्य सरकार के द्वारा उठाया गया कोई कदम होगा जब इस बात की पुष्टि की गई तब इस सच्चाई से पर्दा उठा और सरकार ने उस वेबसाइट को बैन कर दिया और सभी को इसके बारे में जानकारी दी।

इस उदाहरण को बताने का मकसद सिर्फ इतना था कि जब लोग आपको भगवान के नाम पर ठग सकते हैं तो किसी इंसान द्वारा बनाई गई सामान्य औषधि को लोग क्यों नहीं आपको कम पैसों में गलत औषधि उपलब्ध कराकर अच्छे पैसे नहीं कमाएंगे ऐसा ही कुछ हुआ है हक्की पिक्की समुदाय के द्वारा बनाए जाने वाले आदिवासी हेयर ऑयल के बारे में इसके बारे में सोशल मीडिया के सभी प्लेटफार्म यूट्यूब, इंस्टाग्राम, फेसबुक & ट्विटर पर शॉर्ट वीडियो के माध्यम से सोशल मीडिया स्टार की क्लिप चलकर लोगो को नकली तेल बेचा जा रहा है ।

इस बात की पुष्टि इस आदिवासी समाज के तेल निर्माता करन और अनीश ने सोनू शर्मा sir के पॉडकास्ट पर इस बात का खुलासा किया। इसके अलावा सोशल मीडिया स्टार एल्विस यादव खुद उस समुदाय के पास जाकर इस बात की पुष्टि की कि उनके द्वारा बनाए जाने वाला तेल 100% प्रमाणिक है और वह लोग यह भी कहते हैं कि जब भी आप लोग इस तेल को खरीदें तो हमारे समाज द्वारा दिए गए किसी भी नंबर पर आप कॉल करके इस बात की पुष्टि अवश्य कर लें की जिससे आप तेल ले रहे हैं वह लोग कर्नाटक के पक्षीराजपुर गांव के रहने वाले हैं या नहीं ।

आप उनसे व्हाट्सएप पर उनकी करंट लोकेशन मंगा कर स्वयं चेक करने के बाद ही तेल खरीदे। वहां के लोगों का कहना है कि अगर आप हमारे गांव के किसी भी व्यक्ति से तेल खरीद रहे हैं तो आपको 100% अच्छा तेल मिलेगा जिसमें किसी प्रकार की मिलावट नहीं होगी। 

कैसे बच सकते हैं हम स्कैन से 

सोशल मीडिया पर किसी भी प्लेटफार्म पर अगर आपको इस हेयर ऑयल का विज्ञापन दिखता है तो आप कृपया सावधान हो जाएं अगर उसे विज्ञापन में आपको यह दिखाया जा रहा है की आपको तेल ₹399 या ₹499 में दो बोतल दी जा रहे हैं आप ऐसे किसी विज्ञापन से बचें जिसमें आपको यह दिखाया जा रहा है कि एक खरीद पर एक बोतल आपको मुफ्त दी जाएगी इस प्रकार का हर विज्ञापन आपको कहीं ना कहीं अंधेरे में ले जाएगा। हमारे द्वारा दी गई वेबसाइट व्हाट्सएप, नंबर पर आप पूरी जानकारी लेकर इस हेयर ऑयल को खरीद सकते हैं यह ब्लॉग स्पॉन्सर नहीं है 

हमने इस वेबसाइट का जिक्र और व्हाट्सएप नंबर का जिक्र इसलिए किया है कि लोगों को सही जानकारी मिल सके। यह वेबसाइट और व्हाट्सएप नंबर कारन और अनीश जी का है जो पक्षीराजपुरा गांव के रहने वाले हैं और आदिवासी हेयर ऑयल बनाते हैं इनका तेल भारत में ही नहीं बल्कि भारत के बाहर कई देशों में भी सप्लाई होता है आप उनके नंबर पर वीडियो कॉल करके भी उनकी लोकेशन की पुष्टि कर सकते हैं। इनका दावा है अगर आप उनके प्रोडक्ट से संतुष्ट नहीं है तो आपको पूरे पैसे वापस कर दिए जाएंगे। 

HAKKI PIKKI ADIVASI HERBAL HAIR OIL For order visit official website:- https://hakkipakkiadivasi.com/ For more information Call:- Shakthi: 9845775816, Anish: 8197630344, Ajay: 7892721317, Raasa: 8951333654, Karan: 9900356933

कैसे हुई हेयर ऑयल बनाने की शुरुआत 

करण और अनीश जी ने सोनू शर्मा सर के पॉडकास्ट में इस बात का खुलासा किया की उनके पूर्वज लोग जंगल में रहा करते थे तो उनका मुख्य उद्देश्य जानवरों और पक्षियों का शिकार करना और अपना जीवन यापन करना था साल 1972 में जब वन्य जीव संरक्षण अधिनियम भारत सरकार ने पारित किया ।

तब इस समाज पर शिकार करने के लिए रोक लगा दी गई इसके बाद साल 2003 में इस अधिनियम के कानून को और कड़ा कर दिया गया। तभी से इन लोगों ने अपनी आजीविका चलाने के लिए जंगल से पूर्वजों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार औषधीय का निर्माण जैसे चोट मोच का तेल, हेयर तेल, मसाले, पुष्प आदि का रोजगार अपने गांव से निकलकर शहरों में करने लगे ।

उन्होंने इस हेयर ऑयल का विज्ञापन करने के लिए भारत में लगने वाले बड़े-बड़े मेलों में अपना टेंट लगाकर करने लगे जो लोग इस तेल का प्रयोग करते वह वह लोग दोबारा दोबारा उसे तेल को लेने के लिए उनके द्वारा दिए गए नंबर पर संपर्क करके ऑनलाइन माध्यम से मंगवानी लगे धीरे-धीरे लोगों को जानकारियां मिलती गई और उनका यह व्यापार ऑफलाइन से ऑनलाइन में परिवर्तित हो गया।  

आदिवासी हेयर ऑयल बनाने की प्रक्रिया 

आदिवासी हेयर ऑयल समाज के हक्की-पक्की समाज के लोगों द्वारा बनाए जाने वाला एक बालों की ग्रोथ के लिए आयुर्वेदिक तेल है इस तेल को इस समुदाय के लोग वर्तमान में बनाते हैं वह बताते हैं कि इस तेल को उनके पूर्वज लगभग डेढ़ सौ वर्ष पहले स्वयं के उपयोग के लिए बनाए करते थे उन्होंने जो प्रक्रिया अपने आने वाली पीढ़ी को बताई वर्तमान में वह पीढ़ी उसे प्रक्रिया को अपना कर अपना गुजारा कर रही है।

इस तेल को बनाने के लिए सबसे पहले 108 प्रकार की जड़ी बूटियां को एकत्रित करके एक बड़े से बर्तन में सरसों,नारियल और तिल के तेल को एक समान मात्रा में डालकर सबसे पहले गली जड़ी बूटियां को तेल में पकने के पश्चात सुखी जड़ी बूटियां को डालकर लगभग 12 घंटे पकाया जाता है तत्पश्चात निलंबरी नाम की औषधि को बोतल में डालकर तेल को छानकर बाहर दिया जाता है तत्पश्चात बोतल पर अलग-अलग समझाइए के लोग अपना नाम पता व स्वयं का फोटो से बना हुआ एक विज्ञापन चश्मा कर चस्पा कर बोतल को सील कर देते हैं अब या तेल बाजार में बिकने के लिए तैयार है इस आयुर्वेदिक तेल का कोई भी साइड इफेक्ट नहीं है  ।

प्रयोग करने का तरीका 

 आयुर्वैदिक हेयर ऑयल का प्रयोग करने का तरीका थोड़ा सा अलग है शर्त है कि आप किस प्रकार की समस्या से पीड़ित हैं उदाहरण के लिए अगर आपको अगर आपके बाल झड़ रहे हैं तो आपको सप्ताह में लगभग दो या तीन बार सोने से पहले उंगलियों की सहायता से तेल की पूरे सर की मसाज करनी है।

और सुबह उठने के बाद किसी सामान्य शैंपू से जिसमें कास्टिक की मात्रा सबसे कम हो या किसी आयुर्वेदिक शैंपू से आप बालों को अच्छी तरीके से धो लें अगर यह तेल स्त्रियां इस्तेमाल कर रही है तो  अपने बालों की जड़ों और बालों में ढंग से लगाए सुबह उठने के बाद किसी सामान शैंपू से बालों को धो लें।

अगर आपके बाल गिर गए हैं और आपके चांद पर बहुत ही सामान्य छोटे-छोटे बाल हैं तो आप सबसे पहले अपने बालों पर नाइस से छिलवा ले और रात्रि में एक प्याज को काटकर 10 मिनट अपने सर पर रगड़े रगड़ने के पश्चात उस से तेल को धीरे-धीरे उंगलियों से बालों की जड़ों में लगाए।  सुबह उठने के बाद किस आयुर्वेदिक शैंपू से धो लें। ऐसा आपको मात्र दो महीने करना है प्रत्येक 10 दिन बाद अपने बालों को छिलवाते रहना है। आपके 100% बाल उग आएंगे।

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यह लोग कब से बना रहे हैं यह हेयर ऑयल ?

आपको बता दें कि आज से लगभग 150 वर्ष पहले यह समुदाय कर्नाटक के घने जंगलों में रहते थे और ये लोग अपने उपयोग के लिए इस तेल को तभी बनाते आ रहे है

इसमें कितनी जड़ी बूटियां का इस्तेमाल किया जाता है?

इस तेल को बनाने के लिए सबसे पहले 108 प्रकार की जड़ी बूटियां को एकत्रित करके एक बड़े से बर्तन में सरसों,नारियल और तिल के तेल को एक समान मात्रा में डालकर सबसे पहले गली जड़ी बूटियां को तेल में पकने के पश्चात सुखी जड़ी बूटियां को डालकर लगभग 12 घंटे पकाया जाता है तत्पश्चात निलंबरी नाम की औषधि को बोतल में डालकर तेल को छानकर बाहर दिया जाता है

इसका वास्तविक मूल्य क्या है?

आपको हम बता दें आदिवासी हेयर ऑयल का वास्तविक मूल्य ₹1500 है।

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