IAS Suraj Tiwari Biography दोनों पैर गवाने के बाद बने IAS

IAS Suraj Tiwari की संघर्षपूर्ण कहानी : “क्यों डरे जिंदगी में क्या होगा कुछ नहीं होगा तो तजुर्बा नया होगा” “जावेद अख्तर साहब” के इस शेर ने लाखों लोगों की जिंदगी मे नई उम्मीदों के चिराग जला दिए है ।

एक ऐसी ही उम्मीद आज के IAS सूरज तिवारी जी के मन मे भी जल रही थी , इस शेर को उन्होंने भारत के मशहूर शिक्षक “डॉ विकास दिव्यकीर्ति सर “के द्वारा उनके शॉर्ट वीडियोज़ मे सुना था ।

IAS Suraj Tiwari
IAS Suraj Tiwari Biography : Image Credit “Drishti”

सूरज जी ने इस शेर को अपने दिल और दिमाग मे बैठा लिया इसी मोटिवेशन लाइन के साथ वह अपने दोनों पैर गवाने के बावजूद भी हिम्मत नहीं हारी और दुनिया को दिखा दिया कि उनका नाम सूरज नहीं है बल्कि उनमें वह हिम्मत है जिससे वह समाज को प्रकाशित कर सकें और वह आज एक आईएस ऑफिसर बनकर समाज को आइना दिखा रहे हैं।

संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सर्विस परीक्षा 2022 का परिणाम जारी होने के कुछ ही घंटों बाद लोगों के मन में बेचैनी सी होने लगी ,आखिर इस साल का कौन है टॉपर ? 2022 के अंतिम परिणाम में भारत की चार बेटियों ने टॉप किया है। 

दोस्तों हर साल सिविल सर्विसेज परीक्षा के अंतिम पड़ाव तक लगभग 1000 बच्चे पहुंच पाते हैं, लोग जितना टॉपर के बारे में जानना चाहते हैं उससे कहीं ज्यादा लोग उनके बारे में जानना चाहते हैं जो इस पायदान के सबसे निचले हिस्से पर होते हैं फिर भी वह लोग इतना पॉपुलर होते हैं या उनका संघर्ष इतना अधिक होता है कि लोग उनके बारे में जानने के लिए विवश हो जाते हैं ।

क्योंकि उनकी कहानी इतनी संघर्षपूर्ण रही होती है कि लोग उनके बारे में जानना चाहते हैं दोस्तों आज की कहानी में आपको हम बताने जा रहे हैं 2022 के 91 7 रैंक प्राप्त करने वाले IAS Suraj Tiwari जी के बारे में ।

2017 में एक रेल हादसे में सूरज तिवारी जी ने अपने दोनों पैर ,एक हाथ और दूसरे हाथ की 2 उंगलियां गवा दी थी।

दोस्तों अगर इतना बड़ा हादसा किसी के साथ भी हुआ हो तो शायद ही वह यह सोच सकता है कि वह भारत की सबसे बड़ी परीक्षा में बैठेगा लेकिन सूरज तिवारी जी ने सोचा ही नहीं बल्कि अपने एक हाथ की तीन उंगलियों के भरोसे भारत के सबसे बड़ी परीक्षा में बैठे और दूसरे प्रयास में 917 रैंक प्राप्त कर IAS बन कर दिखा भी दिया ,और इसी के साथ लोगों को एक संदेश भी दिया कि जिंदगी कभी भी खत्म नहीं होती ।

IAS Suraj Tiwari की शिक्षा

सूरत तिवारी जी अपने इंटरव्यू में बताते हैं कि उन्होंने अपनी कक्षा 10 की पढ़ाई SBRL इंटर कॉलेज मैनपुरी से पूरी की तथा कक्षा 12 मे प्रथम प्रयास में वह फेल हो गए थे,लेकिन सूरज तिवारी जी पढ़ाई छोड़ने वालों में से नहीं थे उन्होंने 2014 में एक बार फिर से प्रयास किया और इंटरमीडिएट की परीक्षा को सफलतापूर्वक पास किया ।

इसके बाद उन्होंने जेएनयू से बीए रशियन लैंग्वेज में किया अब वर्तमान में M.A. की पढ़ाई कर रहे हैं और अब भारतीय प्रशासनिक सेवा में आईएएस के पद पर तैनात हैं।

IAS Suraj Tiwari का परिवार

सूरज तिवारी का जन्म उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के किरावली नगर में हुआ था उनके परिवार में माता-पिता और भाई बहन हैं उनके पिता राजेश तिवारी जी दर्जी की दुकान चलाते हैं जिससे उनके परिवार का पालन पोषण होता है वही उनकी माताजी ग्रहणी हैं ।

IAS बनने का सपना

सूरज तिवारी जी ने अपने एक इंटरव्यू में बताया है की इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह जेएनयू से बीएससी करने लगे थे । यहीं से उनके मन मे IAS बनने का बीज पनपा था जो आज एक पेड़ ना बन कर एक वृक्ष का रूप ले चुका है और बिना पैर और बिना हाथ हुए लोगों को छाया प्रदान कर रहा है। 

Suraj के साथ 2017 में हुआ रेल हादसा

सूरज जी ने अपने एक इंटरव्यू में बताया है कि 29 जनवरी 2017 को वह गाजियाबाद से दादरी किसी काम से जा रहे थे एक रेल दुर्घटना में उनके दोनों पैर ,एक हाथ और दूसरे हाथ की दो उंगलियां गंवानी पड़ी ।

सूरज जी बताते हैं जब उन्होंने आंखें खोली तब उन्होंने अपने आप को AIIMS दिल्ली में पाया। 4 महीने के बेड रेस्ट के बाद वह घर पहुंचे ,घर पहुंचने के बाद उनकी पढ़ाई छूट सी गई थी लेकिन सूरज जी पीछे हटने वालों में से नहीं थे वह जेएनयू दोबारा गए अपनी पूरी एनर्जी के साथ  और B.A. में रशियन लैंग्वेज के साथ दोबारा एडमिशन लेते हैं ।

वह बताते हैं कि वहां के प्रोफेसर ने जेएनयू कोटे से उन्हें मोटर वील दिलाई जिसके बाद से उन्होंने अपने आप को 25% अधिक पावरफुल समझा वह बता रहे थे कि जो मैं काम स्वयं नहीं कर पा रहा था जैसे कि कक्षाओं को जाना वह मैं स्वयं करने लगा और मैं अपनी पढ़ाई को एक नई धार देने लगा शुरू में कई चैलेंज आए रशियन लैंग्वेज सीखना उनके लिए एक नया टास्क था ।

लेकिन उन्होंने सीखा और अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की 2021 में उन्होंने पहली बार UPSC का एग्जाम दिया self-study  के दम पर उन्होंने मेंस एग्जाम लिखा लेकिन कुछ नंबरों से इंटरव्यू से बाहर हो गए उन्होंने 2022 में दोबारा अपना प्रयास किया ।

सुरज जी इस बार इंटरव्यू तक पहुंचे और परीक्षा को cler भी किया , परिणाम जारी होने पर उनका नाम 933 बच्चों की लिस्ट में 917 नंबर पर था अपने परिवार के लिए आज एक ढाल बनकर खड़े हैं और पूरे समाज को यह बता दिया कि बिना हाथ पैर का इंसान भी सब कुछ कर सकता है।

सूरज जी के पिता जी की प्रतिक्रिया

राजेश तिवारी जी बताते हैं 2017 में जब एक रेल एक्सीडेंट हुआ तो उनका परिवार पूरा टूट सा गया था क्योंकि वह अपने बेटे को खूब पढ़ाना लिखाना चाहते थे और अपने बेटे को अफसर बनाना चाहते थे और आज उनके बेटे ने वह कर दिखाया ।

उनके पिताजी बताते हैं 2017 में ही उनके बड़े बेटे राहुल की मौत हो गई इससे उनका पूरा परिवार टूट सा गया था लेकिन सूरज ने विश्वास दिलाया कि वह अपने परिवार का ख्याल रखेगा और अपने परिवार के लिए पैसे भी कमाऊंगा आज सूरज ने वह कर दिखाया जो अपने पिता से वादा किया था ।

शून्य से शिखर तक का सफर

सूरज जी बताते हैं जब उनका रेल एक्सीडेंट हुआ उसके बाद वह B.A. की पढ़ाई करने के साथ-साथ सिविल सर्विसेज की तैयारी भी शुरू कर दिए थे, सिविल सर्विसेज की तैयारी वह अंग्रेजी माध्यम में self-study से कर रहे थे ।

उन्होंने बताया कि वह दृष्टि आईएएस के हिंदी और इंग्लिश दोनों चैनल से अपने हिसाब से नोट्स बनाए थे ।

उन्होंने विकास दिव्यकीर्ति सर से मिलने के बाद यह बात बताई कि सर एथिक्स के नोट्स जो हमने बनाए थे आपके द्वारा बताए गए लेक्चर से हुबहू प्रश्न आए थे मुख्य परीक्षा को छोड़िए , इंटरव्यू में भी प्रश्न पूछे गए थे और उन्होंने भली-भांति उन प्रश्नों के उत्तर दिए थे ।

विकास दिव्यकीर्ति सर से मिलने के बाद वह बहुत खुश हुए और उन्होंने बोला कि सर हमने आपसे कोई कोर्स नहीं लिया था लेकिन हमारी पढ़ाई के पीछे कहीं न कहीं आपका पूरा सहयोग रहा हम आपके बहुत आभारी हैं। 

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सफलता के बाद का जीवन

सूरज के माता-पिता जी बताते हैं कि अब परिवार की स्थिति दूसरी है लेकिन जिस समय सूरज का एक्सीडेंट हुआ था उस समय परिवार की हालत कुछ और थे आज हमारा बेटा कई लोगों के लिए सहारा है कई लोगों को न्याय दिलाएगा ।

किसी एक जिले का कार्यभार संभाल लेगा लेकिन जब यह हादसा हुआ था तब हम लोग यही सोचते थे कि हम अपने बेटे को कैसे पालेंगे लेकिन हम गलत थे हमारे बेटे ने हमें ही नहीं वरन पूरे परिवार को पाला है और पूरे परिवार के लिए ढाल बनकर खड़ा है मुझे गर्व है कि मैं सूरज की मां हूं मेरा बेटा लोगों की सेवा करेगा इससे बढ़कर मुझे कोई खुशी नहीं।

सूरज जी बताते हैं किस चयन होने के बाद पिताजी के आंखों में आंसू रुके ही नहीं पिताजी कहते हैं कि बेटा मैंने सिर्फ तुम्हारा नाम सूरज रखा था पर तुमने आज अपने नाम को ही नहीं बल्कि मेरे नाम को भी रोशन कर दिया।

IAS Suraj Tiwari की संघर्षपूर्ण कहानी

IAS Suraj Tiwari जी का यह सफर बहुत ही संघर्षपूर्ण रहा है और इस सफर मे उन्होंने अनेकों कठिनाइयों का सामना डट कर किया है , हमारे पास जब भी कोई मुसीबत आती है हम अपने आप को कोसने लगते है की ये सब मेरे साथ ही क्यों हो जाता है लेकिन सूरज ने हमे बताया है की अगर हम मेहनत और धैर्य से काम ले तो हर मुसीबत का हल निकाला जा सकता है और जिंदगी मे कुछ भी हासिल किया जा सकता है ।

सूरज जी ने अपने इस सफर के माध्यम से उन लोगों को उम्मीद दी है जिन्होंने अपने सफर मे हार का सामना करके उम्मीद खो चुके है ये कहानी उन सभी के लिए एक संजीवनी का काम करेगी और जब भी ऐसे लोग अपने जीवन मे उम्मीद खोएंगे तब-तब ये कहानी उन सभी लोगों के एक प्रेरणा का काम करेगी ।

दोस्तों आपको सूरज तिवारी जी का ये संघर्ष कैसा लगा हमे कमेन्ट करके बता सकते है और इस कहानी को अपने दोस्तों मे शेयर भी करे ।

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FAQ ( People Also Ask )

Q.1 सूरज तिवारी कौन है?

Ans. सूरज तिवारी जी मौजूदा समय मे एक भारतीय सिविल सेवक है,उन्होंने दिव्यांग होने के बावजूद UPSC 2022 मे 917 वी रैंक हासिल की, और IAS बनने मे सफल रहे ।

Q.2 सूरज तिवारी जी का जन्म कहाॅ हुआ था?

Ans. सूरज तिवारी का जन्म 1995 मे उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के किरावली नगर में हुआ था

Q.3 IAS सूरज तिवारी जी को कौन सा कैडर मिला है?

Ans. सूरज तिवारी जी ने अपने कैडर मे होम कैडर के रूप मे उत्तर प्रदेश और दूसरे कैडर के रूप मे झारखंड नाम दिया हुआ है

Q.4 IAS सूरज तिवारी जी का UPSC मे कौन सा माध्यम था?

Ans. सूरज तिवारी जी ने UPSC 2022 की परीक्षा English माध्यम मे दी है और उन्होंने UPSC की तैयारी Hindi और English के mix नोट्स बना कर की है

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