Eat raja के सफलता की कहानी zero waste policy

सफलता की पोशाक कभी भी तैयार नहीं मिलती इसे बनाने के लिए मेहनत का हुनर चाहिए | “

ये लाइने Eat raja पर एकदम सटीक बैठती है क्योंकि उन्होंने इन लाइनों को सच साबित करके दिखाया है  दोस्तों मै बात कर रहा हु Mr. आनंद जी की जिन्हे लोग beat राजा के नाम से जानते थे और उन्होंने उस मुकाम से Eat raja का नया खिताब हासिल किया है |

दोस्तों हम आपको बता दे Eat राजा एक जूस की शॉप चलाते  है इनका काम सिर्फ जूस बेचना नहीं है बल्कि जूस को Eco-Friendly तरीकों से बेचना है वह कहते है की बिक्री जूस की वजह से कम और उनके इस नायाब तरीके के कारण ज्यादा होती है | आनंद जी कहते है की कोई भी बिजनस model पर्यावरण के अनुकूल हो सकता है |

eat raja

Beat raja से Eat raja की कहानी

दोस्तों आनंद जी ये जूस की दुकान चलने के पहले वो रेडियो jockey के तौर पर काम कर रहे थे फिर अचानक उनके पिता का देहांत हो गया जो अपनी मल्लेश्वरम  मे जूस की दुकान चलाते थे उनके निधन के बाद 2018 मे उनकी माँ इस जूस की दुकान को चलाने की कोशिश करने लगी और उसके बाद आनंद जी ने अपनी जॉब को छोड़ कर फुल टाइम जूस की दुकान पर काम करने लगे और मेहनत करते रहे |

लेकिन उनके पास जूस पीने के लिए बहुत ही काम लोग आया करते थे जिससे उनको कोई फायदा नहीं हो रहा था किसी-किसी दिन तो ये हाल था की सिर्फ 50rs का ही जूस बेच पाते थे फिर 15 august को उन्होंने ये फैसला लिया की आज के बाद वो किसी भी प्लास्टिक या फिर कांच के गिलास मे किसी को भी जूस नहीं देंगे उनकी इसी idea ने उनको beat raja से eat raja  बना दिया है |

माँ चाहती थी कि दोबारा खुले दुकान

आनंद जी बताते है की 2017 मे उनके पिता के गुजर जाने के बाद दुकान 1 साल तक बंद पड़ी रही और उसके बाद उनकी माँ सरोजा नागराज 2018 मे दोबारा शॉप ओपन कर दी और मेरी माँ की इच्छा थी की मै उस दुकान को आगे बढ़ाऊ क्योंकि उस दुकान से मेरे पिता जी के की सपने जुड़े हुए थे तभी माँ ऐसा चाह रही थी . परंतु जब पिता जी जीवित थे तब उनकी इच्छा थी की मै कुछ ऐसा करू जिससे इस दुकान पर न बैठना पड़े |

हमने ‘ जीरो वेस्ट नीति ’ की शुरुवात करने से पहले कई सारे प्रयोग कर लिए थे  मै सोच रहा था की ग्राहक को लाने के लिए मै कोई नया तरीका निकाल ही लूँगा फिर 15 august 2019 को  ही मैंने फ्रूट कपकी शुरुआत की थी |

दुकान का नाम Eat raja क्यों रखा ?

आनंद जी ने इसके पीछे का बड़ा ही दिलचस्प किस्सा सुनाया . वो कहते है बैगलोर मे राजा शब्द काफी सामान्य है लोग इस शब्द का प्रयोग एक दूसरे को प्यार से बुलाने मे करते थे इससे उनको एक दूसरे से जुड़ा हुआ महसूस करते है . इसलिए उन्होंने अपनी दुकान का नाम eat raja रखा है ताकि लोगों को उनकी दुकान से जुड़ाव महसूस कर सके . आगे वो कहते है की हर भाषा के लोग हम से जुड़ सके इसलिए eat हमने English मे और raja हमने कन्नड मे लिखा रखा है । हालांकि इसके  लिए शुरू-शुरू मे लोगों ने उनका मज़ाक भी उड़ाया है |

फ्रूट कप स्टार्ट करने की प्रेरणा

आनंद जी बताते है कि फ्रूट कप की शुरुआत  करने की प्रेरणा उनको बाहर के देशों से मिली है  वो बताते है ‘‘ मुझे घूमने का बहुत शौक है बाहर किसी देश मे ऐसा देख कर मैंने भी सोचा था कि वापस जाकर कुछ ऐसा किया जाए ’’ आगे वो कहते है की पहला कप जो उन्होंने बनाया था वो था तरबूज का यह उनकी पहली कोशिश थी जो लोगों को ज्यादा पसंद नहीं आया था

फिर उन्होंने कोशिश करना नहीं छोड़ी थी और वो आगे इसी तरह से फ्रूट कप बनाते गए और लोगों को जूस  पिलाते गए | आनद का मानना है की इंजीनियरिंग  की पढ़ाई और रेडियो का तजुर्बा उनके नए-नए प्रयासों को सफल बनाने मे काफी उपयोगी था । उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग का प्रयोग करके जब केले के छिलके के कप मे लोगों को जूस दिया तो बहुत से लोगों को आश्चर्य हुया की ये भी मुमकिन है |

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सबसे ज्यादा बिकने वाला जूस

वह बताते है कि “ हमारा सबसे  सफल प्रयास अमरूद के साथ था, मुझे याद है कि हम रेडियो मे अक्सर मिर्ची मशाला की बात किया करते थे बस फिर क्या था मैंने अमरूद मे भी मिर्ची मशाल डाल कर उसको चिली अमरूद बना डाला अब ये मौजूद समय मे सबसे ज्यादा बिकने वाला जूस है ”

वह कहते है की उनका बिजनस उनके जूस की वजह से नहीं उनके नायाब तरीके से करने के लिए मशहूर हुआ है वह यह कहते है कि “ उनका मकसद जूस बेचना नहीं बल्कि Eco-Friendly तरीकों से बेचना है ” और वह लोगों को कहते है की उनके व्यापार के मोडेल पर्यावरण के अनुकूल हो सकते है | .

भविष्य की योजनाए

Eat raja की भविष्य मे बस यही योजनाए है कि वो Eco-Friendly तरीके से  जूस पूरे देश मे लोगों तक पहुँचा सके और वो इसके लिए हर संभव  प्रयास करने के लिए तैयार है |

दोस्तों वैसे तो आनंद जी शुरू से ही RJ के तौर पर एक celebrity के तौर पर जाने जाते थे पर उनकी मेहनत और कुछ कर गुजरने के हौसले ने उनकी उस इमेज को छोटा कर दिया है और उनको beat राजा के स्थान पर पर दुनिया उनको eat राजा के नाम से ही जानती है और अपने भारत देश मे ही नई बाहर के कई देशों से जब लोग आते है तो उनके जूस का स्वाद  लेने और उनके उस सिस्टम को देखने मल्लेश्वरम यानि बैगलोर जरूर जाते है

 

हम पूरे biopic परिवार से उनको आगे बढ़ने की शुभकामनाए करते है और उनके इस Eco-Friendly model ,को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे और आशा करते है हम उस प्रयास मे सफल जरूर होंगे |

आपको आनंद जी की कहानी  कैसी लगी हमे कमेन्ट करके जरूर बताए और अगर हमारे पेज पर नए है तो फॉलो करना नहीं भूले आपको आगे  भी लाइफ changing कहानिया मिलती रहेंगी |

……… जय हिन्द ! 

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